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नयन (आसूँ भरे)

         नयन( आसूँ भरे)
                         ✍️श्याम सुन्दर बंसल


सुन न माँ तेरी याद आ रही है
सुन न माँ तेरे बीन रोटी नहीं न भा रही हैं
आ जा न लौटकर मेरे पास
तेरे बीन अब मेरी श्वास भी धीमी सी चल रही हैं।

सालों बीत गए अब भी मुझसे नाराज हो
तुम तो माँ मेरी जिंदगी की आगाज हो
तेरे बीन न सब कुछ अधुरा सा हैं
माँ तुम न मेरी श्वांसो की एहसास हो।

पहले मुझको तुम अपने हाथों से खिलाती थी
और मैं जो न खाने के नखरे करता था
अब भी तुम्हारे साथ वो नखरा करना है
जो मैं अपने बचपने में करता था।

तेरे हाथों की सब्जी अच्छी नहीं बोलता जो था
आज उस स्वाद का इंतज़ार करता हूँ
तेरे हाथों का वह निवाला 
आज माँ वो खाने को तरसता हूँ।

मैं जब भी तुमको याद करता हूँ 
तुमको हिचकी तो आती  ही होगी
मैं ही तुमको याद करके रो पड़ता हु 
सायद तुम भी मुझको याद करके रो देती होगी।




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2 Comments

Niraj Pandey

04-Jul-2021 12:00 AM

वाह👌

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Vfyjgxbvxfg

03-Jul-2021 08:10 PM

बेहद मार्मिक सृजन

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